भारत की धरती पर महात्मा बुद्ध, महर्षि चाणक्य, वर्धमान महावीर, चैतन्य महाप्रभु, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, रमन महर्षि, संत कबीरदास, गुरु नानक, गुरु गोबिंद सिंग, रहीम, मुल्ला नसीरुद्दीन, मलूकदास, श्री अरविन्द, स्वामी विवेकानन्द, जे कृष्णामूर्ति, महात्मा गांधी जैसे ऋषियों- संतों का अवतरण हुआ है. आज भी एक भारतीय का माथा एक संत-सन्यासी और योगी के सामने स्वत: ही झुक जाता है. भारत में ऐसे अनेक उदाहरण मिल जायेंगे की एक व्यक्ति विजय और ऐश्वर्य के शिखर पर पहुंच कर भी सन्यस्त होकर अथवा बिना सन्यस्त हुए आध्यात्म-मार्ग को अपनाया है. यह हमारे देश की महान भूमि की देन है... हमारी मिट्टी की उपज है... हमारी संस्कृति की विशेषता है.
नमस्कार दोस्तों, मैं आपका अपने ब्लौग पर स्वागत करता हूँ, जहां हम न केवल आपस में अपनी बातें साझा कर सकते हैं बल्कि अपनी सड़ चुकी व्यवस्था में बदलाव भी ला सकते हैं. मैं आश्वस्त हूँ कि यदि हम प्रयास करें तो हम सब मिलकर अपनी धरती को रहने के लायक एक बेहतर जगह बना सकते हैं. अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए आपका भी यहाँ पर स्वागत है.
थोड़ी बातें मेरे बारे में...!

- चेतनादित्य आलोक
- रांची, झारखण्ड, India
- पुराना नाम: आलोक आदित्य, लेखक, पत्रकार, योग प्रशिक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता, सम्पादक: जागृति संवाद (हिन्दी, द्वैमासिक). 'सौंग ऑफ दी वूड्स' नामक पुस्तक दिसंबर १९९३ में रांची, इंडिया से प्रकाशित. मीडिया की पढ़ाई स्वीडेन (यूरोप) से. 'सौंग ऑफ दी वूड्स' पुस्तक में झारखण्ड के आदिवासियों की जीवन-शैली, कला, साहित्य, संस्कृति एवं परम्पराओं की चर्चा है. यह पुस्तक भारत एवं विश्व के अन्य देशों के समाज-विज्ञानियों द्वारा पसंद की गयी एवं सराही जा चुकी है. इसके अलावा भारत के सम्बन्ध में 'इंडिया एज आई नो इट' नामक एक लघु पुस्तिका स्वीडेन से १९९८ में प्रकाशित हो चुकी है. मैं अपने को एक विश्व नागरिक के रूप में घोषित करता हूँ. मैं जाति, धर्मं, वर्ण आदि में विशवास नहीं करता. यह पूरी दुनियां मेरे लिए कुटुंब जैसी है-वसुधैव कुटुम्बकम!
शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2011
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