थोड़ी बातें मेरे बारे में...!

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रांची, झारखण्ड, India
पुराना नाम: आलोक आदित्य, लेखक, पत्रकार, योग प्रशिक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता, सम्पादक: जागृति संवाद (हिन्दी, द्वैमासिक). 'सौंग ऑफ दी वूड्स' नामक पुस्तक दिसंबर १९९३ में रांची, इंडिया से प्रकाशित. मीडिया की पढ़ाई स्वीडेन (यूरोप) से. 'सौंग ऑफ दी वूड्स' पुस्तक में झारखण्ड के आदिवासियों की जीवन-शैली, कला, साहित्य, संस्कृति एवं परम्पराओं की चर्चा है. यह पुस्तक भारत एवं विश्व के अन्य देशों के समाज-विज्ञानियों द्वारा पसंद की गयी एवं सराही जा चुकी है. इसके अलावा भारत के सम्बन्ध में 'इंडिया एज आई नो इट' नामक एक लघु पुस्तिका स्वीडेन से १९९८ में प्रकाशित हो चुकी है. मैं अपने को एक विश्व नागरिक के रूप में घोषित करता हूँ. मैं जाति, धर्मं, वर्ण आदि में विशवास नहीं करता. यह पूरी दुनियां मेरे लिए कुटुंब जैसी है-वसुधैव कुटुम्बकम!

शनिवार, 2 अप्रैल 2011

एक भव्य उत्सवी रात में अंधकार-युक्त छोटा सा एक गाँव...!

जो लोग मेरे ब्लॉग यानि कि चिट्ठे को पढ़ रहे हैं उनको सबसे पहले मैं यह बताना चाहता हूँ कि भारत का फिल्म उद्योग बॉलीवुड, विश्व भर में सबसे अधिक फ़िल्में बनाने वाला फिल्म उद्योग है. यहाँ के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता स्वर्गीय यश जौहर के बेटे करन जौहर ने अपने महान पिता के कामों को देख कर, उनके साथ मौज- मस्ती करते हुए और उनका हाँथ बंटाते हुए फिल्म निर्माण से जुड़ी तमाम बातें सीखीं. करन ने भी अपने पिता की तरह हिंदी फ़िल्में देखने वालों के लिए कई अच्छी फिल्मे बनाई हैं जिनमें से कुछ फ़िल्में बॉलीवुड में सुपर- डुपर हिट रही हैं.

खबर है कि करन  (४०+) अब सेहरा पहनने के लिए तैयार हैं. जाहिर है कि अभी वह अपनी होनेवाली अर्धांगिनी वंदना मालवानी के साथ इतना व्यस्त हैं कि अपने अत्यंत प्रसिद्ध टीवी प्रोग्राम 'कॉफ़ी विथ करन' के लिए भी उनके पास समय नहीं है. समाचार के अनुसार उन्हें इस प्रोग्राम के अगले एपिसोडों की शूटिंग के लिए जाना था लेकिन उन्होंके इसकी परवाह नहीं की. उनके साथी, हितैषी एवं प्रोग्राम के दर्शक शायद खुश नहीं हों लेकिन झारखण्ड राज्य के रांची जिला स्थित ओरमांझी प्रखंड के एक अंधकार युक्त छोटे से गाँव, जहाँ मुख्य रूप से आदिवासी निवास करते हैं की तरह, भारत के हजारों गावों के लोग इस समाचार को पढ़कर सदमें में नहीं हैं. 

इस समाचार के सम्बन्ध में पूछे जाने पर इस गाँव के लोग बड़ी निष्कपटता से मुस्कुराते हैं. उन्हें इस समाचार के बारे में कुछ मालुम नहीं है. यहाँ तक कि ३० मार्च १०११ को होने वाले क्रिकेट वर्ल्ड कप के हाई-वोल्टेज सेमी- फ़ाइनल मैच से भी वे अनजान थे, जबकि दो देशों भारत और पाकिस्तान में अघोषित छुट्टी मनाई जा रही थी. सड़कों पर भीड़ नहीं थी, कार्यालय में काम नहीं हो रहे थे और सिनेमा हौल खाली पड़े थे. दोनों देशों के लगभग सभी लोग टीवी के सामने बैठे थे एवं हर पल छोटे-मोटे उत्सव मनाये जा रहे थे. और जब टीम भारत ने टीम पाकिस्तान के विरूद्ध जीत दर्ज की, देश के सभी शहरों में अत्यंत विशाल और भव्य उत्सव मनाया जा रहा था. लेकिन इस छोटे से अंधकार युक्त गाँव की तरह भारत के हजारों गाँव उस ख़ुशी और उत्सव का हिस्सा नहीं बन सके क्योंकि उनके यहाँ बिजली नहीं है; जबकि क्रिकेट वर्ल्ड कप २०११ के इस मैच को देखने दो देशों के राजनितिक  प्रमुख, अनेक बॉलीवुड स्टार एवं अन्य वी वी आई पीज मोहाली में मौजूद थे. शुभ कामनाएं, भारत के ऐसे हजारों गावों के लिए, हमारे देश के जन सामान्य केवल यही कह सकते हैं. 


1 टिप्पणी:

  1. आपने बहुत अच्छा आलेख लिखा है. बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई.
    Raakhi R.

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सच कहें दोस्त, बड़ी खुशी होती है जब कोई प्रतिक्रिया लिखता है तो. इससे मालूम होता है कि मेरे द्वारा लिखी गयी चीजें पढ़ी जा रही हैं. शायद आपको भी खुशी होती होगी मेरे आलेखों को पढ़कर...!!!
बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई...!!!