शहीदों के मजारों पर,लगेंगे हर बरस मेले
भीड़ भी होगी बहुत,लगेंगे खोमचे-ठेले !!
रहनुमा आयें न आयें, ये काम पर बड़ा होगा,
'वन्दे-मातरम्' की धुन पे, हर शहीद खडा होगा !!
न रोयेगा,न सिसकेगा, सलामी तोप की देगा,
वतन पे मरने वालों का, हर कदम बड़ा होगा !!
शेर था वो,शेर ही है, शेर ही सदा होगा,
गीदड़ों से हर कदम, उसका सदा जुदा होगा !!
परिजन सिसकते हैं, तड़पते और सुलगते हैं,
आंसू,पसीने,लहू से, वे मज़ार धोते हैं !!
सच है,शहीदों का, यही बाकी निशाँ होगा,
शौकिया आने वालों का, बड़ा ये कारवाँ होगा !!